Wordsworth's The Prelude 2nd paragraph 2nd passage explanation in hindi
नमस्कार दोस्तों! आज मैं इस लेख में वर्ड्सवर्थ के द्वारा लिखी गई the prelude के दूसरे paragraph या अनुच्छेद के बारे में लिखने जा रहा हु । यह अनुच्छेद की व्याख्या MEG के छात्रों के लिए बहुत ही फायदेमंद होने वाला है । और दोस्तों आपको भी पढ़ कर बहुत मजा आएगा । <script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-2311119752115696" crossorigin="anonymous"></script>
प्रेम चंद रविदास Prem Chand rabidas
6/1/20252 min read


Content and not unwilling now to give
A respite to this passion, I paced on
With brisk and eager steps; and came, at length,
To a green shady place, where down I sate
Beneath a tree, slackening my thoughts by choice,
And settling into gentler happiness.
इस अनुच्छेद के शुरू होते ही वर्ड्सवर्थ कहते है कि वह अब संतुष्ट है जबकि उन्होंने पहला अनुच्छेद में बताया था कि वह बहुत दिनों से बड़े शहर में रहते आ रहा था और वहां पर रहते हुए बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं था । इसीलिए वह शहर छोड़कर घाटी में जाने का फैसला करता है और जब वह घाटी की ओर आगे बढ़ रहा था तो वह बिल्कुल प्रकृति के संपर्क में आ जाता है और प्रकृति से मिलने वाली खुशियां उसे प्राप्त होने लगती है । इसीलिए वह अब संतुष्ट हो गया है और कहता है कि वह संतुष्ट है । वह घाटी की ओर आगे बढ़ रहा है और अपने जुनून को विराम देना चाहता है । अर्थात वह कहना चाहता है कि वह अपनी यात्रा को विराम देना चाहता है । वह अपनी यात्रा को विराम देने के लिए उत्सुक है और अपनी तेज और उत्साहित कदम के साथ अपनी गति को बढ़ा देता है । वह बहुत दूर निकल आता है और एक हरे भरे छायादार स्थान या उपवन में पहुंच जाता है । वहां पहुंच कर वह एक वृक्ष के नीचे बैठ जाता है । वह कहता है कि वह अभी चिंताओं से मुक्त हो चुका है और चिंताओं से मुक्त होना अब उसके हाथों में है। वह कहता है कि वह अब सौम्य खुशी में ढल रहा है । अर्थात वह एक विनम्र खुशी का अनुभव कर रहा है ।
'Twas autumn, and a clear and placid day,
With warmth, as much as needed, from a sun
Two hours declined towards the west; a day
With silver clouds, and sunshine on the grass,
And in the sheltered and the sheltering grove
A perfect stillness.
वह वृक्ष के नीचे बैठा हुआ है । वह चिंताओं से मुक्त हो चुका है और विनम्र खुशी का अनुभव कर रहा है । इस अवस्था में बताना चाहता है कि वह महीना शरद ऋतु का चल रहा था और वह दिन स्वच्छ और शांत दिन था । अर्थात वह कहना चाहते है कि उस दिन न ही बारिश हो रही थी और न ही हवाएं चल रही थी । वह कहता है कि उस दिन गर्मी थी लेकिन बहुत ज्यादा गर्मी नहीं थी बल्कि जितनी आवश्यकता थी उतनी ही गर्मी थी। फिर वह कहता है कि सूर्य पश्चिम की ओर झुका हुआ था और दो घंटे में अस्त होने वाला था । फिर वह कहता है कि आसमान में सफेद बदल बिल्कुल चांदी की भांति चमकती हुई प्रतीत हो रही थी। फिर वह कहता है कि सूर्य की किरण घांस पर चमकती हुई प्रतीत हो रही थी । वह वृक्ष के नीचे बैठा हुआ है और कहता है कि उपवन में बिल्कुल शांति छाई हुई है । वह कहता है कि उपवन आश्रयुक्त था । अर्थात लोगो ने उस उपवन में आश्रय लिया था । फिर वह कहता है कि और भी लोग आश्रय लेने की तैयारी कर रहे थे।
Many were the thoughts
Encouraged and dismissed, till choice was made
Of a known Vale, whither my feet should turn,
Nor rest till they had reached the very door
Of the one cottage which methought I saw.
वह कह रहा है कि वह अभी भी वृक्ष के नीचे बैठा हुआ है और मन ही मन उस घाटी का चुनाव कर रहा है जहां तक उसको जाना है । वह कहता है कि इस दौरान उसके मन में विभिन्न प्रकार के विचार उत्पन्न होते है । वह कहते है कि कुछ विचारों ने तो उसको प्रोत्साहन दिया लेकिन कुछ विचार उसके मन में ही आकर खारिज हो गए । फिर वह कहता है कि उसने मन की आंखों से उस झोपडी या आश्रम को देखता है जहां तक उसको जाना था। वह कहता है उसके पैरों को अब पीछे मुड़ कर जाने का सवाल ही नहीं उठता बल्कि उसके पैर अब तब तक नहीं रुकेंगे जब तक कि वे उस झोपड़ी या आश्रम के दरवाजे के बिल्कुल करीब न पहुंच जाए ।
No picture of mere memory ever looked
So fair; and while upon the fancied scene
I gazed with growing love, a higher power
Than Fancy gave assurance of some work
Of glory there forthwith to be begun,
Perhaps too there performed.
इस पंक्ति में वर्ड्सवर्थ कहना चाहते है कि वह मन की आंखों से उस झोपड़ी या आश्रम को देख रहे है जहां तक उसको जाना है । वे कहते है कि खयालों में बसी हुई झोपड़ी का इतना सुंदर दृश्य उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था । वह कहता है कि वह झोपड़ी को देखे ही जा रहा है और झोपड़ी के प्रति उसका प्रेम बढ़ता ही जा रहा है । वह कहता है कि उसी समय उसके मन में कल्पना से भी ऊंची शक्ति ने जन्म लिया और उसे यह आश्वासन दिया कि वह एक महिमामय कार्य कर सकता ही । अर्थात वह एक बड़ा कार्य कर सकता है । वह वृक्ष के नीचे अभी भी बैठा हुआ है और कहता है कि वह बड़ा कम उसी वृक्ष के नीचे शुरू होने वाला था और वहीं पर संपन्न भी होने वाला था।
Thus long I mused,
Nor e'er lost sight of what I mused upon,
Save when, amid the stately grove of oaks,
Now here, now there, an acorn, from its cup
Dislodged, through sere leaves rustled, or at once
To the bare earth dropped with a startling sound.
इस पंक्ति में वर्ड्सवर्थ वृक्ष के नीचे ही बैठे हुए है और अपनी मन के आंखों से उस कल्पित दृश्य या झोपडी को देखे ही जा रहा है और उसे बहुत आनंद प्राप्त हो रहा है । वह कहता है कि बहुत देर तक वह उस सुंदर दृश्य का आनंद लेता ही रह गया । वह कहता है कि उसका नजर उस दृश्य से बिल्कुल भी नहीं हट रहा था । वह कहता ही है कि वह ओक के वृक्ष के भव्य उपवन में बैठा हुआ है और ब तूत का फल अपनी प्याली से अलग होकर सूखे पत्ते से शरारती हुई नंगी धरती पर चौकदेने वाली आवाज के साथ गिर पड़ता है तो भी उसी मन का नजर उसके सुंदर दृश्य से नहीं हटता है।
From that soft couch I rose not, till the sun
Had almost touched the horizon; casting then
A backward glance upon the curling cloud
Of city smoke, by distance ruralised;
Keen as a Truant or a Fugitive,
But as a Pilgrim resolute, I took,
Even with the chance equipment of that hour,
The road that pointed toward the chosen Vale.
वर्ड्सवर्थ इस पंक्ति में कहते है कि वह जहां पर बैठा है वह एक नरम सोफा है क्योंकि उसे वृक्ष के नीचे बैठकर बहुत आनंद प्राप्त हो रहा है । वह कहता है कि वह उस सोफे से तब तक नहीं उठता है जब तक कि सूर्य ने छितिज को न छू लिया हो । वह कहता है कि सूर्य अभी छितिज को छू लिया है । अर्थात शाम होने वाली है । वह कहता है कि अब वह वहां से उठ जाता है और पीछे मुड़ कर देखता है वह कहता है कि दूर शहर के धुएं घुंघराले बदल की तरह प्रतीत हो रहे है । वह कहता है घुंघराले बदल का दृश्य ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे मानों वे गांव का दृश्य हो। वह कहता है कि वह झोपड़ी तक पहुंचने के लिए एक भगोड़े की तरह उत्सुक है लेकिन एक तीर्थयात्री की तरह दृढ़ निश्चय भी है। वह समय को देखते हुए जल्दी से उस रास्ता का चुनाव करता है जो उस घाटी तक जाती थी जिस घाटी का उसने चुनाव किया था ।
It was a splendid evening, and my soul
Once more made trial of her strength, nor lacked
Æolian visitations; but the harp
Was soon defrauded, and the banded host
Of harmony dispersed in straggling sounds,
And lastly utter silence! "Be it so;
Why think of any thing but present good?"
So, like a home-bound labourer I pursued
My way beneath the mellowing sun, that shed
Mild influence; nor left in me one wish
Again to bend the Sabbath of that time
To a servile yoke.
वर्ड्सवर्थ कहते है कि शाम हो चुकी थी और वह शाम बहुत ही शानदार थी ।अर्थात वह शाम बहुत सुंदर थी। वह ज्ञात घाटी की ओर आगे बढ़ रहा है और कहता है कि उसकी आत्मा अभी शक्ति का परीक्षण कर रहा है । अर्थात वह कहना चाहते है कि वह देखना चाहते थे कि उसकी आत्मा झोपडी तक जाने के लिए कितना सक्षम है। वह कहता है कि उसके आत्मा में हवा की तरह भ्रमण करने की क्षमता अभी भी मौजूद है लेकिन उसे मन के बिना ने धोखा दे दिया है । अर्थात वह कहना चाहते है कि उसके मन के बिना के तार अभी मधुर ध्वनि उत्पन्न नहीं कर रहे है । उन्होंने पहला अनुच्छेद में बताया था कि उसने मन की अपूर्ण ध्वनि को सूना था और उस अपूर्ण ध्वनि की आंतरिक प्रतिध्वनि को भी सुन था जिससे उसे खुशी मिल रही थी लेकिन अब ऐसा कुछ भी नहीं है । वह कहता है कि उसके मन के हार्मनी के तार बिखर चुके है । और कहते है कि अब पूर्ण रूप से शांति छाया हुआ है वह कहते है कि बाहर उपवन में भी शांति छाई हुई है और अंदर उसके मन में भी शांति छाई हुई है । फिर वह कहता है कि अगर ऐसा हैं तो उसे इसी बात पर खुश रहना चाहिए कि उसके आत्मा में अभी भी हवा की तरह भ्रमण करने की छमता है । वह कहता है कि वह गृह बढ़ श्रमिक की तरह रास्ता का अनुशरण करता रहा । वह कहता है कि जिस तरह से घर में हर कोई एक श्रमिक होता है और मजबूरन उसे घर का काम करना ही पड़ता है ठीक उसी तरह से वह भी अभी बज़बुर हो गया है क्योंकि वह बहुत दूर निकल आया है और वापस लौट के नहीं जा सकता । वह कहते है कि मजबूरन उसे अब झोपडी तक पहुंचना ही पड़ेगा। वह कहता है कि वह ढलती हुई सूर्य के नीचे आगे बढ़ रहा था । वह कहता है कि ढलती हुई वह सूर्य जो बिल्कुल धीमी प्रभाव डाल रहा था। वह कहता है कि वह दिन उसके लिए विश्राम का समय था और भगवान को याद करने का समय था । वह कहता है कि उस विश्राम के समय को उस दस्ता भरी काम में बिल्कुल भी नहीं लगाना चाहता था जिसको मजबूरन करना पड़ता है । लेकिन फिर भी वह उस काम को करता ही रह गया। वह आगे बढ़ता ही रह गया।
What need of many words?
A pleasant loitering journey, through three days
Continued, brought me to my hermitage.
I spare to tell of what ensued, the life
In common things—the endless store of things,
Rare, or at least so seeming, every day
Found all about me in one neighbourhood—
The self-congratulation, and, from morn
To night, unbroken cheerfulness serene.
वर्ड्सवर्थ कहते है कि सुखदाई लेकिन रुक रुक कर चलने वाली उसकी यात्रा तीन दिनों तक चली और अंत में वह अपने आश्रम तक पहुंच जाता है। और फिर कहता है कि उसके बाद जो हुआ वह बता नहीं सकता । वह कहता है कि सामान्य चीजों में भी जिंदगी थी और चीजों का असीम भंडार था ।वह कहता है कि सारी चीजें दुर्लभ थी या दुर्लभ जैसी थी। फिर वह कहता है कि पड़ोस में लोगों ने देखा कि उसके आत्मा उसे बधाई दे रही थी। फिर वह कहता है पड़ोस के लोगों ने देखा कि वह अखंड प्रसन्नता से भरी शांति का वह अनुभव कर रहा था ।
But speedily an earnest longing rose
To brace myself to some determined aim,
Reading or thinking; either to lay up
New stores, or rescue from decay the old
By timely interference: and therewith
Came hopes still higher, that with outward life
I might endue some airy phantasies
That had been floating loose about for years,
And to such beings temperately deal forth
The many feelings that oppressed my heart.
इस पंक्ति में वर्ड्सवर्थ कहना चाहते है कि जब वह आश्रम तक पहुंचता है तो बहुत ही जल्द उसके हृदय में एक तीव्र इच्छा जग उठती है कि वह अपने निर्धारित उद्देश्य की ओर ध्यान दे सके । छायादार वृक्ष के नीचे बैठ कर उसे एक महिमामय कार्य करने का आश्वासन मिला था । अर्थात एक पद कार्य करने का आश्वासन मिला था । जब वह पहला अनुच्छेद में खुले मैदान में भविष्यवाणी कर रहा था तो काव्यात्मक संख्याएं स्वाभाविक रूप से उसके जुबान से निकल आए थे । उसे कविता लिखने की प्रेरणा प्राप्त हुई थी। अर्थात वह उसी उद्देश्य की ओर इशारा कर रहे है । वह कहता है कि वह पढ़ने और मंथन करने का निर्णय लिया था । वह कहता है कि वह कविताओं या लेखों की नई भंडार का संचय करने का निर्णय लिया था और साथ ही पुराने लेख के भंडारों को क्षय होने से बचाने का निर्णय लिया था। वह कहता है कि इससे भी ऊंची उम्मीदें उसके मन में जागी है। वह कहता है कि बाहरी जीवन के साथ वह अपनी उड़ती कल्पनाओं को कविता के माध्यम से साझा करना चाहता है । वह कहता है कि उड़ती हुई कल्पनाएं उसके मन के समंदर में सालों से तैर रही थी। फिर वह कहता है कि वह उस भावनाओं को लोगो के साथ कविता के माध्यम से शेयर करना चाहता है जिसने उसे बहुत कष्ट पहुंचाए है ।
That hope hath been discouraged; welcome light
Dawns from the east, but dawns to disappear
And mock me with a sky that ripens not
Into a steady morning: if my mind,
Remembering the bold promise of the past,
Would gladly grapple with some noble theme,
Vain is her wish; where'er she turns she finds
Impediments from day to day renewed.
इस पंक्ति में वह कहता है कि उसके उम्मीदों को तोड़ गया हैं। उसके मनोबल को तोड़ गया है । वह कहता है जिस प्रकार से स्वागत प्रकाश गायब होने के लिया सुबह निकलती है ठीक उसी प्रकार से उसके मन में भी ऊंची ऊंची उम्मीदें गायब होने को लिए जागी थी । वह कहता है कि जिस प्रकार से आसमान सूर्य के प्रकाश से नहीं पकता उसी तरह से उन उम्मीदों ने भी मेरे साथ मजाक किए है । फिर वह कहता है एक शांतभरा सुबह में जब बैठा हुआ था और अपने साथ किए हुए वादों को इसलिए याद कर रहा था त कि उसे कोई विषय वस्तु लिखने के लिए मिल जाए । लेकिन ऐसा नहीं हो पाता है । वह कहता है उसकी सारी इच्छाएं व्यर्थ जा रही है । वह कहता है वह जिधर भी मुड़ता है उसे बाधाएं मिलती है और हर रोज नई नई बाधाएं मिलते हैं। अर्थात वह कहना चाहते है कि वह जिस किसी विषय वस्तु की तलाश करने की कोशिश करता है उसे बाधाएं मिलती है और वह लिख ही नहीं पाता है । दोस्तों वर्ड्सवर्थ यहीं पर अपना दूसरे अनुच्छेद को समाप्त करते है । फिर हमलोग तीसरे अनुच्छेद में जानने की कोशिश करेंगे कि वर्ड्सवर्थ का काव्यात्मक जीवन में आगे किया होता है । तब तक के लिए अलविदा दोस्तों।
