पढ़ना क्यों? (कविता)

यह एक प्रेरणा दायक कविता है। जो लोग सोचते है कि पढ़ लिख कर क्या होगा ?नौकरी तो मिलता नही वे लोग इस कविता को जरूर पढ़े।<script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-2311119752115696" crossorigin="anonymous"></script>

प्रेम चंद रविदास

7/3/20231 min read

पढ़ लिख कर क्या होगा?

नौकरी तो होता ही नही।

नापसंद है पढ़ना लिखना ,

अच्छा तो लगता ही नहीं।

मन नही लगता पढ़ाई में,

ईश्वर ने गुण दिया ही नहीं।

कभी कभार स्कूल जाते है,

फेल आखिर होना ही नही।

सब सोच तुम्हारा पुराना है,

पढ़ना क्यों,मालुम ही नही।

कितने पीढ़ी चले गए,

शिक्षा को समझें ही नही।

तुम पढ़ो इसलिए की,

तेरे सिवा उम्मीद ही नही।

तुम पढ़ो इसलिए की,

शिक्षा बिना शस्त्र ही नही।

वतन तुम्हारा गणतंत्र है,

वोटिंग सबका समान है।

तुम पढ़ो इसलिए की,

अच्छा नागरिक बन सको।

तुम पढ़ो इसलिए की,

अपना अधिकार पा सको।

सरकार तुमसे टैक्स लेती है,

कर्मचारियों को वेतन देती है।

तुम पढ़ो इसलिए की,

कोई बेवकूफ बना न सके।

तुम पढ़ो इसलिए की ,

घूसखोर बाधा डाल न सके।

कानून सबके लिए एक है,

न्याय पाना सबका हक है।

तुम पढ़ो इसलिए की,

मन में हिम्मत जुटा सको।

तुम पढ़ो इसलिए की,

कानून से न्याय मांग सको।

देश तुम्हारा धर्म निरपेक्ष है,

जात पात से उपर खड़ा है।

तुम पढ़ो इसलिए की ,

निज संस्कृति बचा सको।

तुम पढ़ो इसलिए की,

अपना भाषा उठा सको ।

पूर्वजों का जमीन तेरा है,

उस पर तेरा निज हक है।

तुम पढ़ो इसलिए की,

उसका कागज बना सको।

तुम पढ़ो इसलिए की,

सरकार से पट्टा ले सको।

सभी बीमारी का इलाज है,

पर अस्पताल बहुत दूर है।

तुम पढ़ो इसलिए की,

साहस का पूल बांध सको।

तुम पढ़ो इसलिए की,

अपनो के प्राण बचा सको।

रूढ़िवादी बस आज है,

कल दुनिया में कहां है।

तुम पढ़ो इसलिए की,

उनके विचार भुला सको।

तुम पढ़ो इसलिए की,

आधुनिकता अपना सको।

जलने वालो में भी कुछ दम है,

उनमें नकारात्मक जहर भी है।

तुम पढ़ो इसलिए की ,

जहर हौसले मार ना सके ।

तुम पढ़ो इसलिए की,

हालात उम्मीदें तोड़ न सके।

मन में अंधेरा क्यों है,

अग्नि की लौ कहां है।

तुम पढ़ो इसलिए की,

ज्ञान की मशाल जला सको।

तुम पढ़ो इसलिए की,

अज्ञान की रात भागा सको।