NEOTIA, THE BEST HOSPITAL IN SILIGURI
नमस्कार दोस्तो! में प्रेमचंद रविदास फिर से स्वागत करता हूं मेरा इस ब्लॉग में। दोस्तो ,अगर आप उत्तर बंगाल के रहने वाले हैं और आप सिलीगुड़ी में एक अच्छे हॉस्पिटल में अपना चिकित्सा करना चाहते हैं तो NEOTIA GETWEL सबसे अच्छा विकल्प हैं । न्योटिया में कुछ खास बातें है जो न्योटिया को अन्य हॉस्पिटल से अलग करती हैं। (१) न्योटिया में डॉक्टर हमेशा उपलब्ध रहते हैं, अगर आप देर से भी हॉस्पिटल पहुंचते हैं तो आपको किसी भी डॉक्टर का अपॉइंटमेंट मिलने का चांस बहुत ज्यादा होता है। (२)वहां के डॉक्टर रोगी के समस्या को अच्छा से सुनते हैं और जरूरत पड़ने पर ही दवाई लिखते हैं।रोगी के सवालों का संतोषजनक उत्तर भी देते हैं। (३)वहां के चिकित्सकों का व्यवहार भी बहुत अच्छा हैं।(४) पहली बार अगर आप गए हो और आप को कुछ समझ नही आ रहा हो तो गार्ड से पूछिए वहां के गार्ड आपको अच्छा से गाइड कर देंगे । गार्ड का भी व्यवहार बहुत अच्छा हैं। (५) काउंटर में बैठे कर्मचारियों का भी व्यवहार और काम करने का तरीका बहुत अच्छा है। आपको रजिस्ट्रेशन कराने में कोई परेशानी नहीं होगी। (६) और सबसे बड़ी बात वहां पर आपका फीडबैक मांगा जाता हैं। वहां पर आप फीडबैक दे सकते हैं । फीडबैक का एक फॉर्म होता हैं । फीडबैक में आपको वहां के गार्ड , काउंटर में बैठे कर्मचारियों ,डॉक्टर्स और अन्य सुविधाओं के संबंध में आपका अनुभव साझा करना होता हैं। अगर आपको किसी बात से परेशानी है तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके सुझाव भी दे सकते हैं। वहां पर में भी पहली बार गया हूं और यह आर्टिकल लिख रहा हूं। मुझे एक समस्या का सामना करना पड़ा था। मैने वहां पर दो डॉक्टर्स से अपॉइंटमेंट लिया था और मुझे उसी दिन अपॉइंटमेंट मिल गया। पहला डॉक्टर्स का जब मैने अपॉइंटमेंट लिया था तो मेरा १३ नंबर पर नाम था। मैने काउंटर में पूछा की कितना नंबर चल रहा हैं तो उसने बताया की उस समय ६ नंबर चल रहा था। मैने सोचा ज्यादा लेट नही होगा और अपने बारी आने का इंतजार करने लगा । मुझे पूरा विश्वास था की मेरा नंबर आने पर सिस्टर मुझे कॉल करेगी। लेकिन काफी देर तक हमलोग बैठे रहे फिर भी नंबर नही आ रहा था। मैं फिर काउंटर में जाकर सिस्टर से पूछा की कितना नंबर चल रहा हैं । उसने कहा १२ नंबर । तो मैंने सोचा की उसके बाद तो मेरा नंबर आयेगा । जब अंदर से पेशेंट निकला तो मुझे लगा सिस्टर मुझे एलाऊ करेगी लेकिन वो कहने लगी अंदर फाइल है। याने की अभी मेरी बारी नही आई थी। मैं फिर वेट करने लगा । जब अंदर से और एक पेशेंट निकला तो मुझे लगा की अब तो मेरी बारी होगी। लेकिन उस डॉक्टर के सेक्रेटरी ने मुझे नही बल्की किसी और को एलाऊ किया । सेक्रेटरी ने उसे भेजा जो मुझसे भी बाद में आया था। मैने सेक्रेटरी से कहा की वो मुझे जाने दे क्योंकि मेरा नंबर आ गया हैं । सेक्रेटरी ने कहां जो अभी गया उसका पेशेंट हॉस्पिटल में एडमिट हैं इसीलिए डॉक्टर ने उसे बुलाया हैं। सेक्रेटरी झूट बोल रही थी क्योंकि उसका पेशेंट एडमिट नही था बल्कि वो भी ओ पी डी में दिखाने आया था और मुझसे बाद में आया था। मेरी थोड़ी सी बहस भी हुआ सेक्रेटरी के साथ । फिर उन्होंने मेरा फाइल डॉक्टर के केबिन में भेजा । उसके बाद वो पेशेंट बाहर निकला । जैसे ही वो पेशेंट बाहर निकला दरवाजा थोड़ा सा खुला। मैं दरवाजे के सामने ही खड़ा था। वहां से डॉक्टर दिखाई दे रहे थे। डॉक्टर ने मुझे देखा और अंदर आने के लिए इसारा किया। जैसे ही मैं अंदर जाने वाला था सेक्रेटरी ने गुस्से में मुझसे कहा " किया हैं आपका ,इतना जल्दबाजी किस बात का, पहले मुझे जाने दीजिए"। उनके बर्ताव को देख कर मुझे बहुत बुरा लगा और मैं जवाब भी देना चाहा लेकिन चुप रहा क्योंकि मुझे डॉक्टर दिखाना था। हमलोगो ने बच्चे को डॉक्टर दिखाया । डॉक्टर का स्वभाव बहुत ही अच्छा था । उसने हमारी समस्या बड़े ही ध्यान से सुनी और बचे का चेक अप किया। उसने बताया की डरने की कोई बात नही हैं और इसके लिए दवाई की भी जरूरत नहीं हैं । बचे का मूत्र द्वार पर एक फोड़ा जैसा हो गया था और इसको लेकर मेरा दीदी और जीजाजी बहुत परेशान थे। बहुत दिनों से डॉक्टर दिखा रहे थे लेकिन समाधान नहीं निकल रहा था। एक डॉक्टर ने तो यहां तक कह दिया था की ऑपरेशन करना पड़ेगा और ऑपरेशन में वो रिस्क नहीं लेगा। हमलोगो ने अपने डाउट क्लियर करने के लिए डॉक्टर्स से कई सवाल किए । डाक्टर ने सभी सवालों का जवाब दिया और बताया की उस बीमारी को शिष्ट कहते हैं और यह आम बात हैं । घबराने की जरूरत नहीं हैं अपने आप ठीक हो जायेगा। यूरोलॉजिस्ट की बात सुनकर मैं तो संतुष्ट हो गया लेकिन मेरे जीजाजी संतुष्ट नहीं हुए। फिर मैने कहा की चलिए फिर चाइल्ड स्पेशलिस्ट को भी दिखा लेते हैं । जीजाजी ने कहा की चाइल्ड स्पेशलिस्ट को दिखाना ठीक रहेगा । दोपहर के एक बज चुके थे। मैने सोचा की शायद अभी चाइल्ड स्पेशलिस्ट मिलना मुस्किल होगा । लेकिन मैंने इंक्वायरी में जाकर पूछा तो याने मुझे पेडियाट्रिक डिपार्टमेंट में जाने को कहा। पेडियाट्रिक डिपार्टमेंट वहां से थोड़ी दूर दूसरे बिल्डिंग में था। हमलोगो ने वहां के काउंटर में जाकर पूछा की क्या चाइल्ड स्पेशलिस्ट उपलब्ध हैं । तो उन्होंने बताया की उपलब्ध हैं। वो भी एक नही बल्की दो दो । वहां पर चाइल्ड स्पेशलिस्ट को भी हमने दिखाया । उसने भी कहा की डरने वाली कोई बात नही हैं और वापस यूरोलॉजिस्ट को रेफर किया। जैसे ही डॉक्टर के केबिन से निकले बाहर चेयर ,टेबल और कुछ फॉर्म लेकर एक सिस्टर बैठी हुई थी। उसने मुझे बुलाया और कहा "सर ! यह फॉर्म भर दीजिए"। मैने देखा वो एक फीडबैक देने वाला फॉर्म था। मैने वहां पर गार्ड से लेकर डॉक्टर्स तक सभी का व्यवहार अच्छा पाया तो मैने सभी के लिए एक्सीलेंट विकल्प चुनें। फर्म के के अंत में एक कॉमेंट बॉक्स भी था। मैने सिस्टर से पूछा की क्या मैं कॉमेंट कर सकता हूं। सिस्टर ने पूछा की क्या कॉमेंट करना हैं। मैने कहां मेरा एक कंप्लेन हैं। सिस्टर ने कहा की जो भी कंप्लेन है आप यहां पर लिख दीजिए। मैने कॉमेंट में यूरोलॉजिस्ट के सेक्रेटरी के खिलाफ कंप्लेन कर दी। मुझे बहुत अच्छा लगा की मुझे उस सेक्रेटरी के खिलाफ कंप्लेन करने का मौका मिला। फिर दो दिन बाद जब मैं अपने काम से लौट रहा था मुझे न्योटिया से फोन आया और कहा " सर! आपका फीडबैक मिला था , आपने सेक्रेटरी के खिलाफ कंप्लेन किया है, सर मैं जानना चाहती हूं की किया हुआ था उस दिन"। मैने उसे सेक्रेटरी के बुरे बर्ताव के बारे में बताया । उसने सुना और कहा " सर! मैने उस सेक्रेटरी के साथ बात किया हैं ,हम उसके बुरे बरताव के लिए शर्मिंदा हैं , उसके लिए हम आपसे माफी चाहते हैं"। मैने कहा " आपने मेरी परेशानी समझने की कोसिस की इस बात से मुझे खुशी हुई"। और मैने उसे धन्यवाद भी दिया। तो दोस्तो ऐसा हॉस्पिटल जो की पेशेंट की छोटी से छोटी बात को भी गंभीरता से लेता हो , वो कभी भी पेशेंट की जिंदगी के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकता । वहां पर विजिटिंग चार्ज भी सामान्य हैं । आप अगर प्राइवेट में डॉक्टर दिखाना चाहते हैं तो एक बार न्योटिय जरूर जायेगा। धन्यवाद। कहानी(चाय श्रमिक का बेटा_२) (जुदाई)<script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-2311119752115696" crossorigin="anonymous"></script>
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