कुछ बात अधूरी है

दोस्तो ये कहानी "कुछ बात अधूरी है " एक प्रेम कहानी है लेकिन बहुत बड़ा संदेश हमलोगो को देती है । दोस्तो यह कहानी जरूर पढ़े।<script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-2311119752115696" crossorigin="anonymous"></script>

Prem Chand Rabidas

9/6/20231 min read

नमस्कार दोस्तो ! कैसे है आप लोग ? अच्छे ही होंगे जरूर । दुर्गा माता की कृपा आप सभी पर बना रहे । तो दोस्तो आज मैं आप लोगो के लिए लेकर आया हूं एक छोटी सी कहानी । दोस्तो ये कहानी पढ़ कर आप लोगो को जरूर अच्छी लगेगी । तो कहानी आंत तक पढ़ते रहे। दोस्तों ये गांव में रहने वाले एक लड़के की प्रेम कहानी है । लड़का का नाम अभय है । वह कॉलेज में अंतिम वर्ष की छात्र है। पढ़ने में बस ठीक ठाक है लेकिन उसे चित्रकारी का बहुत शौक है। उसे लोगों के हुबहू चित्र बनाने में बहुत मजा आता है । एक बार गांव में उसकी बहुत पिटाई हुई थी क्योंकि उसने गंदे राजनीतिज्ञों की हुबहू तसबीर बनाकर एक दुकान में चुपके से चिपका दिया था। उसे लगा था की उसके द्वारा बनाया गया लोगो की तसबीर कोई नही पहचानेगा । उसे अपने कलाकारी पर बिल्कुल भी भरोसा नही था । लेकिन लोगो ने पहचान लिया की वे तसबीर गांव के जाने माने नेता के थे। अभय को यह जान कर बहुत खुशी हुई की वह अब लोगो की शक्ल हुबहू बना सकता है । जब पूछा गया तो अभय ने गर्व से कहा की ये चित्र उसी ने बनाया है । लेकिन अभय को पता नही था की वहा पीटने वा कीला है क्योंकि अभय ने नेताओं को शराब और सिगरेट के साथ पार्टी करते हुए दिखाया था। खैर ये तो सिर्फ एक किसा था ।असली कहानी तो अब शुरू होगी।

अभय का दोस्त का नाम था विनय । विनय का सादी था और अशोक अपना लंगोटिया यार विनय के सादी में बाराती बनकर गया था । दिन में ही बारात और और दिन में ही सादी था । दोपहर दो बजकर २० मिनट से सादी का लगन था। अभय थोड़ा शरारती था । इसीलिए विनय कभी कभी अभय से नाराज हो जाता था । करीबन १२ बजे का समय था और बाराती दुल्हन के घर पहुंच चुके थे । अभय विनय के बगल में बैठा था और लड़कियों पर निगाहे जमा रहा था । विनय अभय को देख गुस्सा हो रहा था । विनय ने अभय से कहा " देखो यहां पर कोई बखेड़ा खड़ा मत करना " । अभय ने कहा " क्या यार तेरे सादी में आया हूं थोड़ी तो मस्ती कर लेने दे "। विनय ने कहा " अरे जिन्हे तुम देख रहे हो ना वे मेरे साली है "। अभय ने कहा " ओ हो हो दूल्हे राजा अपनी वाली पर फोकस कर " , तेरी साली को तो मैं घरवाली बनाऊंगा "। विनय को पता नही क्यों अभय पर गुस्सा आ रहा था । विनय ने अपने भाइयों और बहनों को अपने पास बुला लिया । और धीरे धीरे अभय को वहां से दूर भेज दिया । अभय लड़कियों को देखने के चक्कर में भूल गया की उसे तो अपने दोस्त के पास बैठना है । फिर उसे याद आया । वह अपने दोस्त के पास चला गया । वहां जाकर देखा की । विनय को चारो तरफ से लड़के और लड़कियां घेरे हुए थे । सादी के दिन तो दूल्हा का ही दिन होता है । सबकी निगाहें तो दूल्हा और दुल्हन पर टिकी होती है । अभय विनय से बात करने की कोशिश कर रहा था लेकिन उसे मौका ही नही मिल रहा था । और बनाए भी जान बुझ कर अभय को इग्नोर करने लगा । अभय समझ रहा था की विनय जान बुझ कर अभय के साथ ऐसा कर रहा है। अभय की एक समस्या ये भी थी की विनय के वगैर उसे वहा पर भाव मिलने वाला नही था । अब अभय क्या करता? कैसे अपने दोस्त को मनाता ? उसका दोस्त तो ऐसा बर्ताव कर रहा था जैसे की वहा अभय को पहचानता तक नही । अब अभय ने सोचा की आज का सादी में तो वही बरबाद होगा। विनय को सादी की मंडप में बैठने की बारी आई। लगभग दो बज रहे थे । अब विनय मन ही मन एक साथी का तलाश कर रहा था जो की उसके साथ सादी के मंडप में बैठे । उसने बहुत सोचा लेकिन उसके साथ आए हुए बाराती में कोई भी लड़का सादी के मंडप में बैठने वाला नही था । उसे तो अपने साथ बैठने के लिए एक स्मार्ट लड़का चाहिए था । और अभय ही सबसे स्मार्ट दिख रहा था क्योंकि कोट और टाई में बाराती बन कर गया था । वास्तव में अभय था भी बहुत स्मार्ट लड़का। विनय को मजबूरन अभय को ही चुनना पड़ा । अभय के तो अंदाज ही बदल गया । जैसे मानो अपने दोस्त से कह रहा हो " आ गया न उठ अब पहाड़ के नीचे "। इतराते हुए अभय करीब आया और कहा " चलो भाई डॉली उठाने की तैयारी करते है । इतने में सभी मंडप पर बैठ गए । पंडित जी भी तैयार थे । दुल्हन को मंडप तक लाया गया । सुबह विवाह आरंभ हुआ । अभय ने पूछे देखा तो उसके भाई और बहन दोनो बैठे थे । अभय मन ही मन कहने लगा " ये क्या हो गया ? दोनो को मेरे सामने किसने बैठाया " । विनय के तरफ देखा तो विनय हसने लगा मानो कह रहा हो " क्यों भाई किया समझा था तूने मेरा कोई प्लान नही होगा क्या? अब कैसे लड़कियों को लाइन मरोगे अपने भाई बहन के सामने ? अभय समझ गया ये तो विनय की ही चल है । विनय अच्छी तरह से जानता था की अपनी बहन के सामने अभय कभी भी शरारत नही करेगा क्योंकि अभय कभी नही चाहता था की उसकी बहन कभी गलत रास्ता पर जाए। अभय की तो व्हाट लग चुकी थी । लेकिन विनय का तो एक और इक्का शो करना बाकी था। अभय के ठीक पीछे एक मोटी और भद्दी लड़की बैठी हुई थी । विनय ने जाने उसे क्या कहा दिया था वह लड़की अभय पर लाइन मारे जा रही थी । दरअसल वह मोटी लड़की विनय की साली थी । बहुत ही बातूनी थी वह मोटी । अभय को बातो ही बातो में उलझा देता और जोर जोर से हंसने लगता । कभी चिटी कटता तो कभी फ्लैटिंग करता । अभय का दिमाग का दही बना दिया था । क्या सोच कर आया था और क्या हो रहा था। छुटकारा पाना भी मुसकिल था । क्योंकि जब तक सादी खत्म नहीं हो जाता । अभय को विनय के साथ ही रहना था । सभी अब धीरे धीरे अभय का मजाक बनाना शुरू कर दिए । बहुत सारे रिश्तेदार सादी में बैठे हुए थे । सभी अभय को मोटी के साथ चिढ़ा रहे थे । सभी थोड़े थोड़े हंस भी रहे थे । चारो ओर नजर घुमा कर अभय ने देखा तो पाया की सभी अभय को परेशान देख खुस हो रहे थे । नजर घुमाते वक्त उसकी नजर दूर दरवाजे के सामने बैठी एक लड़की पर पड़ी जो अभय को ही देख जोर जोर से हस्ती हुई नजर आ रही थी । अभय ने उसे देखा तो देखता ही रहा गया। बहुत सुंदर थी वो लड़की । उसकी हंसी , उसके ड्रेस अप , उसके घुंगराले बाल और गालों पर डिंपल देखकर तो अभय के होश ही उड़ गए। अभय ने सोचा की कास ऐसी लड़की अपने नसीब में भी होता। फिर उसे सादी के विधि पर भी ध्यान देना पड़ रहा था। पूजा के कुछ सामान की भी जरूरत उसके जिम्मे थे। मांगने पर उसे तुरंत देने पड़ते थे। लेकिन उस डिंपल वाली लड़की ने तो उसकी निगाहे चुरा ली थी। उसने फिर उसी लड़की के तरफ देखा । उस लड़की ने इशारों में कहा " स्माइल"। अभय के चेहरे पर बारह बजे हुए थे । मोटी ने परेशान कर रखा था । लेकिन जैसे ही अभय को डिंपल वाली लड़की में स्माइल करने को कहा । अभय को तो मानो जैसे करेंट सा लगा । इतनी सुंदर लड़की ने अभय को इशारा किया। अब तो अभय बार बार उसी के तरफ देखने लगा । अभय का तो होश ही नहीं रहा । ये कैसे हो सकता था । जिस लड़की को अभय पाने की सपने देख रहा था वो खुद ही इंप्रेस हो रही थी । वो लड़की भी अभय को ही देखे जा रही थी । अभय ने सोचा की लगता है बात बन गई । देखा देखी में सादी का टाइम कब खत्म हो गया पता भी नही चला । और मोटी ने तो मानो जैसे अभय को छेड़ने की कोई कसर न छोड़ी हो लेकिन फिर भी अभय पर कोई असर नहीं हुआ । सादी खत्म होते ही अभय उस लड़की से जाकर बात करना चाहा लेकिन विनय के पापा ने कहा अभी कहीं मत जाना । मंदिर में जाकर आशीर्वाद लेना है।अभय फिर विनय और उसकी पत्नी को मंदिर की ओर ले जाने लगा । इतना नियम था की अभय को एक एक मिनट घंटो सा लग रहा था । सब काम धीरे धीरे और विधि पूर्वक हो रहे थे। अभय उस लड़की को देखने की कोशिश कर रहा था लेकिन वहा लड़की नजर नहीं आ रही थी। इधर विधि खत्म नहीं हो रहा था और उधर लड़की नजर नहीं आ रही थी । अभय की बेचैनी बढ़ती जा रही थी । वो मन ही मन बोल रहा था " कहा गई होगी?" बहुत मुश्किल से मंदिर में सभी ने आशीर्वाद लिए। अभय ने विनय से कहा मैं थोड़ी देर में आ रहा हूं। विनय ने कहा " कहां जा रहे हो ? अभी रुको ?में अकेला हो जाऊंगा।" अभय ने कहा "वाशरूम" । सामने शशुर जी खड़े थे उसने एक लड़के से कहा " दूल्हे के भाई को वाशरूम ले जाओ" । अभय ने कहा " अंकल मैं खुद चला जाऊंगा "। आपको पता भी है वाशरूम किधर है?। इतना कहते हुए उसने लड़के को इशारा किया और उस लड़के ने हाथ पकड़कर अभय को खींचते हुए वाशरूम ले गया और फिर विनय के सामने खड़ा कर दिया । विनय ने कहा " कहां चले जाते हो यार " रुको अब मत जाना "। अभय ने कहा "अरे यार सादी तो हो गई न अब तो जाने दो " । विनय के मां ने कहा " अरे बेटा अभी तो सभी बड़ी के पांव छूने बाकी है अभी कहीं मत जाना । सबके पांव छूने का रस्म शुरू हुआ । इतने सारे लोगो के पांव छुते छूते अंधेरा होने को आ गया। अभय की निगाहे उस लड़की को ढूंढती रही पर कहीं दिखाई नहीं दे रही थी। उसके बाद दूल्हा दुल्हन खाना खाए । ये रस्म वो रस्म करते करते बहुत देर हो गए । अब बिदाई का वक्त आ चुका था । अभय उदास था । विनय के पापा आए और कहा " अभय बेटा तुमने कुछ खाया नही है ,जा के खा लो, बिदाई का टाइम हो रहा है। अभय को थोड़ी छुट्टी मिली थी खाने के लिए लेकिन अभय को भूख कहां थी ? वह लड़की को ढूंढने लगा । लड़की कहीं दिखाई नहीं दे रही थी। सभी तरफ ढूंढ लिया लेकिन वो लड़की नही मिला । निराश होकर अभय बैठ गया । इतने में पीछे से आवाज आई " मुझे ढूंढ रहे हो ? " अभय ने पलट कर देखा "वही लड़की सामने खड़ी थी। अभय ने कहा " क्या यार तुम भी कमाल करती हो ? कब से ढूंढ रहा हूं तुम्हे? लड़की ने कहा "पता है"। अभय ने कहा " पता है फिर भी ? थैंक गॉड कम से कम मिली तो "। लड़की ने कहा "में तो तुम्हारे पास ही थी तुमने ही मुझे ढूंढने में इतना टाइम लगा दिया" । यह कहते हुए वह लड़की वहां से चल पड़ी । अभय ने कहा "अरे नाम तो बता के जाओ? " लड़की ने कहा " ये तुम्हारा काम है , खुद पता कर लो " । अभय ने कहा " अरे ! रहती कहां हो ? " ।लड़की ने कहां " मुझे पता है तुम सब पता लगा लोगे" बाई!

बिदाई का वक्त हो चुका था । लड़की की बिदाई हुई । अभय और विनय भाई भाई की तरह रहते थे। अभय को अनेक जिम्मेदारी दी गई थी। अभय सादी से वापस आ गया । अभय को उस लड़की का नाम तक नहीं पता था लेकिन उसे ढूंढना था । विनय के घर में रिसेप्शन पार्टी हुआ । अभय को उम्मीद थी की वो लड़की आएगी लेकिन पार्टी में भी नही आई। अभय बहुत दुखी था । सादी के दो तीन दिन बीत चुके थे। अभय को लग रहा था की उसको सब कुछ भूल जाना चाहिए। लेकिन उसे उस लड़की की कही बाते याद आने लगी । उसकी कानो में एक बात गूंजने लगी " मुझे पता है तुम सब पता लगा लोगे"। अभय ने फिर फैसला किया चलो कोशिश करते है । अभय सबसे पहले विनय के पत्नी के पास गया और उस लड़की के बारे में पूछने लगा। उसके पत्नी ने कहा * क्या नाम है उस लड़की का" अभय ने कहा " पता नही " । भाबीजी हसने लगी । भाबी ने फिर पूछा " क्या पहनी थी? कैसी दिखती थी? कहां के रहने वाली थी सब कुछ बताओ। अभय ने कहा " अरे ! व्हाइट कलर की कुर्ती पहनी थी , घुंगराले बाल थे , हस्ती थी तो गालों पर डिंपल आ जाते थे और हां आंखे बहुत सुंदर थी , लेकिन कहां की रहने वाली थी पता नही , भाभी देखिए ना ,पता लगाइए न प्लीज , आप ही के कोई रिश्तेदार होगी या फिर आप ही के गांव से । भाभी ने कहा " नही मुझे तो ऐसी कोई लड़की याद नहीं आ रही है " । देखो तुम पागल हो गए हो और मुझे भी पागल कर दोगे , इतने हाई फाई लड़की मेरे सादी में कहां आई थी? " भाभी ने कहा "। दूसरे दिन अभय विनय और उसके पत्नी के साथ शशुराल चले गए। अभय ने विनय के सभी रिस्तेदारो से पूछा लेकिन कुछ पता नही चला । सभी अभय के हाल पर मजाक उड़ा रहे थे। लेकिन अभय सीरियस था। शाशुराल से वापिस आ गया। अभय फिर खुद को समझा रहा था की अभ ढूंढने का कोई फायदा नही । अपने पढ़ाई में फोकस करने की कोशिश कर रहा था लेकिन नही कर पा रहा था । बार बार एक ही आवाज जैसे मानो उसके कानो में गूंज रही थी " मुझे पता है तुम सब पता लगा लोगे " ।

अभय परेशान हो रहा था । थोड़ा बदला बदला सा रहता था । विनय ने अभय से पूछा "क्या बात है इतना उखड़े उखड़े से क्यों रहते हो ? अभय ने कहा "यार !वो लड़की ?" विनय ने कहा " आर यू सीरियस ? युम्हारी परेशानी की वजह वो लड़की है ? । अभय ने कहा " पता नही यार मुझे अभी भी लगता है की मुझे उसे ढूंढना चाहिए ,मुझे लगता है मेरी कुछ बात अधूरी है , में बहुत कुछ कहना चाहता हूं , बहुत कुछ सुनना चाहता हूं , प्लीज यार चलो न एक बार कोशिश करते है , चलो ना ढूंढते है , प्लीज यार ! अभय की बातें सुनकर विनय को मामला थोड़ा गंभीर लगा । विनय को लगा की इस बात को हल्के में नहीं लेना चाहिए । अभय जब इतना फोर्स कर रहा है तो चलो ढूंढ ही लेते है । विनय ने कहा " ठीक है कल चलते है " । अभय ने कहा " कल नही अभी " । विनय ने कहा " क्या यार ! बचपना छोड़ो मुझे छुट्टी लेनी पड़ेगी । अभय ने कहा " नही विनय प्लीज ! आज ही चलो प्लीज ! विनय और अभय उसी दिन चल दिए । विनय अपने सभी रिस्तेदारो के घर ले चला लेकिन कोई भी कुछ नही बता पाया । फिर सारे दोस्तो के घर जहां जहां उन्होंने निमंत्रण भिजवाए थे । शायद ही कोई घर बचा हो लेकिन उस लड़की के बारे में कोई कुछ नही बोल पाया । हफ्ता दिन तक खोज चलता रहा लेकिन नतीजा कुछ भी नही । फिर सादी का एल्बम आया । अभय को लगा की एल्बम में तो मिल ही जायेगा । सभी फोटो देखने लगे । हर फोटो को ध्यान से देख रहा था लेकिन कोई भी फोटो में वह लड़की नजर नहीं आ रहा था । दिन भर अभय फोटो में ढूंढता रहा । सारा दिन बीत गया लेकिन उस लड़की का फोटो कहीं भी नही था । सभी परेशान थे । अभय के पापा को ये बात पता चली । वो तो गुस्से में आग बबूला हो गया । उसने कहा " अगर पढ़ाई में इतना मन लगाता तो इसका करियर बन जाता लेकिन देखो जनाब को लड़की के पीछे पड़ा हुआ है । सभी समझने लगे की अभय उस लड़की को भूल जाओ अगर किस्मत में होगी तो जरूर मिलेगी । अभय फिर खुद को समझाया और उस लड़की को दिल से निकालने की ठान ली । पहले की तरह अभय कॉलेज जाने लगा । पढ़ने में मन भी लग रहा था । धीरे धीरे सब नॉर्मल हो रहा था । एक दिन अभय को तेज बुखार आता है । अभय के पापा ने अभय को बुखार की दवा खिलाया और कहा बेटा आराम करो बुखार कम हो जायेगा । इतने में अभय की आंख लग जाती है । आधी रात को अभय को एक सपना आता है । सपने में वही लड़की कहती है मुझे पता है तुम सब पता लगा लोगे । अभय आधी रात को जाग जाता है और बहुत बेचैन हो जाता है । उसकी यादें फिर ताजा हो जाता है । वो चिल्लाने लगता है । रोने लगता है । अभय के मम्मी पापा अभय के कमरे में आते है । अभय के मास अभय को गले से लगा कर रोने लगता है । वह कहती है " ही भगवान आंखिर किया हो गया मेरे बेटे को ,क्या जादू कर दिया उस लड़की ने? अभय आधी रात को ब्रश ,आर्ट पेपर लेता है और उस लड़की की चित्र बनाना शुरू कर देता है । सुबह होते होते उसने उस लड़की की तसबीर बना ही लिया । अभय विनय के घर जाता है और तसबीर विनय को दिखाता है और कहता है "देखो तो इस लड़की को तो देखा होगा तुमने सादी में ?" विनय ने ध्यान से देखा पर उसे लगा नही की उसने कभी उस लड़की को देखा है । विनय उस तसबीर को लेकर अपनी पत्नी के पास गया और दिखाते हुए कहा " देखिए जी ये है जिसने जनाब की निंदे उड़ाई है । उसके पत्नी ने यह कहते हुए की अच्छा तो कलाकार ने ये कसर भी बाकी नही छोड़ा तसबीर देखा तो देखता ही रह गया और देखते देखते फूट फूट कर रोने लगा । अभय ने कहा " भाभी क्या हुआ आप क्यों रो रही है ? आंखीर बात क्या है ? क्या हुआ मुझे भी बताइए । कौन है ये लड़की " । भाभी ने कहा " अभय तुम मजाक कर रहे हो ? ऐसी मजाक मेरे साथ मत करना "? अभय फिर परेशान हो गया और कहा " भाभी ये आप क्या बोल रही है मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है मैं क्यों मजाक करू "। भाभी ने अभय को थप्पड़ जड़ दिया और कहा "चले जाओ यहां से और फिर मत आना मेरे नजरों के सामने" । इतने में अभय के मां ने भाभीजी को जोर का थप्पड़ लगाते हुए कहा " हालत देखी है मेरे बेटे की तुम्हे लगता है ये मजाक कर रहा है , कोन है ये लड़की बताओ मुझे मैं छोडूंगी नही इस लड़की को ,जीना हराम कर दिया है मेरे बेटे का । भाभीजी ने कहा " अरे मम्मी जी इस लड़की का नाम भारती है और इसके मारे हुए एक साल हो चुके है ,ये मेरी बचपन की दोस्त है , इसके दर्दनाक पथ दुर्घटना के कारण मेरी सादी एक साल बाद हुई "। यह बात सुनकर अभय को बहुत आश्चर्य हुआ । अंखिर ये कैसे हो सकता है । क्या रिश्ता था इस लड़की से मेरा जो मेरे साथ ही यह इत्तीफाक हुआ ।

इसके बाद अभय ने पता लगाया की भारती की एक्सीडेंट कैसे हुआ था । दरअसल भारती प्रतीक्षालय के बाहर बस का इंतजार कर रही थी । इतने में एक पिक अप तेज रफ्तार से आया और अपना नियंत्रण खोते हुए भारती को जोरदार टक्कर मरते हुए प्रतिक्छालय को भी रौंद दिया । पिक अप में समान भरे हुए थे और उसमे तीन लोग सवार थे । भारती के साथ उन तीनो के भी मौके पर ही मौत हो गई। पोस्ट मार्टम के रिपोर्ट में पता चला की पिक अप में सवार लोग शराब के नशे में धुत गाड़ी चला रहे थे । अभय ने बहुत सोचा की आँखिर क्यों भारती ने अभय को ही चुना । अभय मौके वारदात पर बैठ कर सोचता रहा और अंत में एक पेंटिंग बनाना शुरू किया । उस पेंटिंग को बनाने में सप्ताह दिन लगे । पेंटिंग बनाकर उसने अपना पेंटिंग का फोटो सोशल मीडिया में शेयर कर दिया । वह पेंटिंग इतना प्रभावशाली था की लोगो ने उसे खूब पसंद किया ।लाइक और शेयर भी किए । उस पेंटिंग को इतना शेयर किया गया की इंटरनेशनल फोटो एग्जिबिशन के सीईओ के पास पहुंच गया । पेंटिंग को देख सीईओ के आंखो में आंसू आ गए। उसने इंटरनेशनल फोटो एग्जिबिशन में अभय को विशेष निमंत्रण भेजा । अभय उस एग्जिबिशन में सामिल हुआ ।वहां पर उससे पूछा गया की आँखिर कैसे प्रेरणा मिली इस तरह के पेंटिंग बनाने की । अभय ने पूरी बात बताई । और उसका पेंटिंग सर्वश्रेष्ठ घोषित किया गया । आज अभय कामयाब और प्रसिद्ध दोनो है । एक बेहतरीन चित्रकार है और ये सब संभव हुआ सिर्फ और सिर उस आत्मा की वजह से जो भारती की थी।

उस पेंटिंग में अभय ने दर्शाया था की कुछ लोग शराब के नशे में गाड़ी चलाते है और दर्दनाक घटना को अंजाम देते है । उसमे खुद तो मरते है लेकिन साथ में बेकसूर लोग भी मारे जाते है । उसमे भारती को शराब पीकर गाड़ी न चलाने की अपील करते हुए दिखाया गया था।अभय को यह अनुमान था की शायद यही बात भारती लोगो से कहना चाहती होगी और इसीलिए अभय ने अपने पेंटिंग के माध्यम से लोगो को यह संदेश दिया । इसके बाद भारती कभी भी अभय के सपनो में नही आया । अभय आज भी भारती को याद करता है लेकिन एक सच्चा दोस्त की तरह और परेशान नही रहता है ।

प्रेम चंद रविदास