कहानी(मेरा मतलबी दोस्त)
१३ अक्टूबर २०२२ को मेरा नेट का परीक्षा था। परीक्षा का समय सुबह ९बजे से १२ बजे तक था। लेकिन ८बजे ही रिपोर्टिंग करना था। मेरे घर से परीक्षा केंद्र की दूरी लगभग १०० किलोमीटर सिलीगुड़ी में था। मेरे पास दो रास्ते थे ।मैं एक दिन पहले ही सिलीगुड़ी जाकर किसी लॉज में ठहरता या तो फिर परीक्षा के दिन ही प्राइवेट कार से जल्दी जाकर परीक्षा देता। लेकिन एक समस्या थी की मेरी बेटी को दो दिन पहले अचानक बुखार आ गया था। मैं सोचा की सायद मौसम चेंज की वजह से हो रहा है,एंटीबायोटिक से ठीक हो जायेगा। लेकिन जब डॉक्टर के पास ले गया तो डॉक्टर ने पूछा की केवल बुखार है या फिर सर्दी खासी भी । बच्चा को सिर्फ बुखार था तो मैंने कहा की केवल बुखार है सर्दी खासी नही। तो डॉक्टर ने कहा की अगर केवल बुखार है तो डर का बात हो सकता है क्योंकि फिलहाल प्लेटलेट कम होने का शिकायत आ रही है। डॉक्टर ने मुझे तीन दिन दावा खिलाने का परामर्श दिया और कहा की अगर बुखार कम नही होता है तो टेस्ट कराना परेगा। परीक्षा के दिन तीसरा दिन होता और मुझे तीन दिन देखना ही था क्योंकि मैं बच्चे के मामले में रिस्क नहीं ले सकता था। इसीलिए मैंने सोचा की परीक्षा के दिन ही प्राइवेट कार से परीक्षा देने जाऊंगा । मैं एक सरकारी स्कूल में शिक्षक हूं और मेरा एक शिक्षक मित्र भी है। उसका शुभ नाम सनूप था और मैं उसको सनुप सर बुलाया करता था। परीक्षा के एक दिन पहले मैं एटीएम से पैसा विट्रो करने जा रहा था वह मुझे रास्ते में मिल गया । मैने उससे कहा की चलिए कल मेरे साथ सिलीगुड़ी । उसको पता था कि अगले दिन मेरा एग्जाम था क्योंकि मैंने पहले ही उसे बताया था और साथ चलने के लिए प्रस्ताव भी रखा था। उसने एक बार तो माना कर दिया क्युकी उसका अगला दिन जरूरी काम था । फिर मैंने प्रेरित करते हुए कहा की " अरे चलिए न ! कल घूम फिर के भी आते है , एकबार स्कूल खुल गया तो फिर काम में ही उलझा रहना पड़ेगा ,घूमने का समय भी नही मिलेगा ,मैं रिजर्व में जा रहा हूं ,आराम से जायेंगे ,आराम से आयेंगे , बिरयानी खायेंगे और बीयर भी पियेंगे।"। बीयर का नाम सुनते ही सनूप सर ने हा कर दी । वो बोले " ठीक है चलते है"। रात को ही मैंने जरूरत का सब समान पैक कर दिया । यू तो मेरी आदत है रात को जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठना लेकिन वेकेशन चल रहा था और उत्सव का माहोल भी था । तो मेरी आदत थोड़ी खराब हो गई थी। रात को लेट से सोने लगा और देर से उठने लगा । सुबह का मॉर्निंग वॉक भी नही जा पा रहा था । लेकिन मैंने सुबह ४बजे ,४:३० बजे और ५ बजे का अलार्म सेट कर दिया और पत्नी को भी बोल दिया की मुझे ४ बजे उठा दे। आखिरकार मैं ४:३० बजे उठ ही गया । फ्रेश होने के लिए १ घंटा लगा । गाड़ी मैंने ५बजे बुलाया था तो साजिद भैया अपने टाइम से गाड़ी ले के पहुंच गए । साजिद भैया गाड़ी का मालिक और ड्राइवर दोनो थे।मुझे जब भी गाड़ी की जरूरत होता तो साजिद भैया का ही कार ले के जाता था। सजीत भैया से मेरी अच्छी जान पहचान हो गई थी ।यू बोलिए की एक दोस्त की ही तरह । सर ने भी फोन करके बता दिया की वो तैयार है । सर का घर कुछ ही दूरी पर था हमने उसे पिक अप कर लिया। इस तरह हमलोग ठीक ५:३० बजे घर से निकल पड़े। इस सफर में हमलोग चार लोग थे । साजिद भैया का भाई रियान भी था । रियान का पापा ट्रीटमेंट के लिए बंगलोर गए हुए थे और प्लेन से आ रहे थे। उनका फ्लाइट १०:३० बजे लैंड करता । उनको एयरपोर्ट से घर लाने के लिए रियान ने दूसरी गरी रिजर्व किया था। जाते समय हमलोग बहुत सारे बाते करते हुए गए । हमलोग बहुत खुस थे क्युकी एग्जाम खतम होने के बाद हमलोग बहुत सारे मस्ती करने वाले थे । सनूप सर ने कहा की " प्रेम तुम जब भी मुझे कही चलने को कहते हो न तो मैं तैयार हो जाता हु क्युकी मुझे तुम्हारे साथ जाना अच्छा लगता है, और कोई सर के साथ मेरा मन नहीं लगता ।" मैने पूछा की भाभी ने माना नही किया। तो उसने कहा की " नही प्रेम क्यूं मना करेगी ,वैसे भी वो जानती है की हमलोग साथ में ही रहते और काम करते है ,ऑफिस भी जाना होता हैं तो साथ में जाते है ।" फिर उसने यह भी बताया की सिलीगुड़ी में उसका जमीन है इसी बहाना उसे देख कर भी आ जायेगा। मैने कहा "ठीक है मेरा एग्जाम तो तीन घंटा का है ,आप इतने देर किया कीजिएगा ,तब तक अपना जमीन देख लीजिएगा।" बात करते करते समय कब निकल गया पता ही नही चला । हम ठीक ७:१५ में सिलीगुड़ी पहुंचे। वहा से मेरी एग्जाम सेंटर हार्डली आधा घंटा की दूरी पर था । रियान ने जिस गाड़ी को रिजर्व किया था वो हमारी प्रतीक्षा कर रही थी। हमलोग गाड़ी के पास पहुंचे । साजिद भैया ने गाड़ी रोकी। सनूप सर को यह बात पता नही थी की रियान वहा से गाड़ी चेंज करेगा। रियान हमारी गाड़ी से उतरा ,मुझे एग्जाम के लिए बेस्ट ऑफ़ लक बोला और अपनी गाड़ी की ओर चल दिया । जैसे ही सनूप सर ने देखा की रियान दूसरी गाड़ी से जा रहा है तो उसने पुछा की वो गाड़ी कहा तक जाएगी ? साजिद भैया ने कहा एयरपोर्ट तक जाएगी । सनूप सर अचानक गाड़ी से उतरा और यह कहते हुए की मैं भी जाऊंगा वो भीं रियान की गाड़ी के तरफ चल दिया। एयरपोर्ट के सामने ही उसका जमीन था। मुझे आश्चर्य हुआ । मैने कहा "रुकिए !कहा जा रहे है , मुझे एग्जाम सेंटर तक छोड़ दीजिए फिर चला जायेगा।उसने कहा " आते है न पहले अपना जमीन देख लेते है"। यह कहकर सीधे रियान की गाड़ी में जाकर बैठ गया। मुझे बहुत अजीब लगा। मैं सोचा था कि सनूप सर मुझे एग्जाम सेंटर तक छोड़ेगा ,फिर हमलोग नाश्ता करेंगे ,उसके बाद मैं एग्जाम देने चला जाऊंगा और वो अपना जमीन देखने। पर उसने तो बेस्ट ऑफ़ लक भीं नही बोला । उसके मन में किया प्लान था मैं समझ नहीं पाया। खेर मुझे अपना एग्जाम देना था तो मैं एग्जाम सेंटर गया। हमलोग ७:४५ में ही सेंटर तक पहुंच गए । फिर हमलोगो ने नाश्ता किया । नाश्ते में हमलोग ने ब्रेड और केला खाया । मैं तो सनूप सर और रियान के लिए भी नाश्ता लेकर गया था । पर रियान और सनूप सर तो चले गए । इसलिए मैं और साजिद भैया दोनो ने ही नाश्ता किया। कई बार मैं नेट का परीक्षा दे चुका हु। और मुझे इस बात का अनुभव था की इतना सुबह परीक्षा केंद्र के आस पास नाश्ता मिलना मुस्किल होता है। इसीलिए मैं घर से हि नाश्ता ले गया था। इसके बाद मैने अपना पत्नी को फोन लगाया और पूछा की बेटी उठी की नही । उसने कहा की वो सो रही है । पत्नी ने मुझे वेस्ट आफ लक कहा और मैं एग्जाम सेंटर के अंदर चला गया । मुझे पहले से ही पता था की मेरा एग्जाम अच्छा होने वाला नहीं है । क्योंकि मेरा तैयारी अच्छा से नही हुआ था । नौकरी करते हुए और परिवार का जिम्मेदारी संभालते हुए मेरे पास जितना समय बचता था उसी में पढ़ लिया करता था। हमेशा मोटिवेटेड रहने के लिए मैं हर बार एग्जाम देता था। फिर भी एग्जाम देने का अनुभव बहुत अच्छा था। एग्जाम उतना भीं खराब नही हुआ । एग्जाम देकर मैं खुशी खुशी बाहर निकला । सबसे पहले अपने पत्नी को फोन किया और बेटी के बारे में पूछा । उसने कहा की बेटी ठीक है और खेल रही है । उसका बुखार भी नही है। फिर मैं बाहर सनूप सर को खोजने लगा । वो कही दिखाई नहीं दे रहा था । मैं गाड़ी के पास गया । सोचा सनूप सर अपना जमीन देखकर आ गाय होगा और गाड़ी के अंदर होगा। पर मुझे आश्चर्य हुआ की गाड़ी के अंदर केवल साजिद भैया बैठे हुए थे। मैने साजिद भैया से पूछा " सनूप सर नही आए है किया"। उसने कहा "नहीं आए है तो"। मुझे फिर अजीब लगा । मैने फिर पूछा "फोन आया था ?"। उसने कहा "हां रिंग हो रहा था मैने नहीं उठाया"। मुझे लगा की सनुप सर ने ही फोन किया होगा। फिर मैंने कॉल हिस्ट्री चेक किया तो देखा की उसमे सनुप सर का नाम नहीं था। मैने सोचा तीन घंटे से ज्यादा हों गया है कॉल तक नहीं किया तो वह किया कर रहा होगा। जानने के लिए मैने उसे फोन लगाया और मजाक मजाक में कहा " किया हौ! पी पा के लुड़क गए क्या?" वह हंसने लगा और हस्ते हुए कहा "नहीं प्रेम मैं जमीन पर हि हु" ।मैने फिर पूछा " आप किया कर रहे है जमीन पर अभी तक? " उसने कहा "मैं जमीन पर खुट्टी गड़वा रहा हूं और अपने जमीन की सीमाओं को चिन्हित करवा रहा हूं । उसने कहा "प्रेम मेरा जमीन पर बाउंड्री वॉल नहीं है तो मैंने सोचा की खुट्टी लगवा कर बाउंड्री को चिन्हित कर लू"। मुझे बुरा लगा क्योंकि उसने मुझे इस प्लान के बारे में नहीं बताया था । उसने मुझे इतना तो बताया था की वो जमीन देखने तो जायेगा लेकिन वहा पर काम भी करवाएगा ये नही बताया था। मैने उससे कहा "तो ये बात है ! आप का प्लान ये था इसीलिए आप सुबह इतने हड़बड़ी में रियान की गाड़ी से निकल गए"।उसने जवाब दिया। " नही प्रेम ऐसी बात नहीं है , में सोचा की तीन घंटा तक मैं किया करूंगा , तो सोचा ये जमीन के किनारे खुट्टी लगवा दू,मिस्त्री भीं मिल गया ,खुट्टी और सीमेंट भी जल्दी मिल गया ,तो मैंने सोचा की ये काम करा ही लेता हु"। मैं समझ गया था की वो बाते बना रहा है । मुझे दुख इस बात से लगा क्योंकि वह मेरा गाड़ी में ही आया और पूरे सफर में हमने बाते की लेकिन उसने अपने काम का जिक्र नहीं किया था। मुझे थोड़ी थोड़ी बात समझ में आ रहा था की उसका यह पहले से प्लान होगा क्योंकि इतना जल्दी सीमेंट ,खुट्टी ,मिस्त्री का ब्यावस्ता नही होता। और इस काम के लिए जो पैसा का जरूरत था वह साथ ले के आया था । और उसे ज्यादा समय चाहिए था इसीलिए वह रियान की गाड़ी में जल्दी से चला गया । ऐसी हरकत वह पहले भी कर चुका था । जब अपनी काम आता तो वो मुझे छोड़ छाड़ कर चला जाता है। मैने सोचा ये कभी सुधारने वाला नहीं है । फिर भी मैंने पूछा "सर बिरयानी नही खायेंगे" । उसने कहा " अरे आप लोग खाइए ना, खाना पीना तो लगा ही रहेगा पहले अपना काम कर लू " । बस फिर किया था मेरी उम्मीदों में पानी फिर गया । सोचा था सनूप सर के साथ बिरयानी खाऊंगा और बिरयानी का स्वाद लेते हुए एंजॉय करूंगा पर ऐसा नहीं हुआ । मैने फोन रख दिया और साजिद भैया से पूछा की आस पास कहीं बिरयानी मिलता है। साजिद भैया ने कहा " हां ! पास में एक होटल है वहा मिलता है। हमलोग वही खाते है"। मैने पूछा "अच्छा देता है ?"। उसने कहा " हां ! अच्छा है"। बिरयानी खा कर मॉल घूमने का मन था अब वो भीं मन नहीं कर रहा था। फिर मुझे याद आया की आईसीआईसीआई बैंक में मेरा कुछ काम था । कुछ पैसा विड्रा करने थे और क्रेडिट कार्ड भी बंद करवाना था । मैने साजिद भैया से कहा चलिए साजिद भैया पहले बैंक का काम कर लेते है फिर बिरयानी खायेंगे। फिर हमलोग आईसीआईसीआई बैंक जो सेवक रोड में है की ओर निकले । वहा से हमलोग आईसीआईसीआई बैंक में पहुंचे अपना काम किया फिर बिरयानी खाए । किया स्वाद था बिरयानी का । वाह!मजा हि आ गया । साजिद भैया को पता था की मैं मॉल जाऊंगा इसीलिए उसने मॉल जाने का जिक्र भी किया । मैने कहा चलिए चलते है मॉल में । सेवक रोड में कॉसमॉस नाम का एक मॉल है । जब भी मैं मैं गाड़ी लेकर जाता था तो कॉसमॉस घूमकर ही आता था । वहा से छोटी मोटी शॉपिंग भी कर लेता था और कॉफी वागेरा भीं पी लेता था। कॉसमॉस में घूमना मुझे अच्छा लगता है। सोचा था सनूप सर के साथ में घूमता तो और भी मजा आता । लेकिन वो तो नही था तो सोचा साजिद भैया के साथ ही घूम लू । इतने में सनुप सर का फोन आया । उसने पूछा " सर ! आप कहा पर है" । मैने कहा " सेवक रोड में आनंदोलोक के सामने" । उसने कहा "ठीक है मैं आ रहा हु" । मैने कहा "आइए "। थोड़ी देर में वह आया और कहने लगा की उसे बहुत जोर की भूख लगा है। मैने कहा "हमलोग ने तो खा लिया आपने देर कर दि , चलिए कॉसमॉस के सामने कुछ खा लीजिएगा फिर कॉसमॉस घूमेंगे "। उसने कहा "कॉसमॉस ! अरे चलिए न , रिलायंस में चलते है आप भीं किया याद रखिएगा की सनूप सर कहा लाया है घूमने के लिए "। मैने तो ये नाम नया सुना। फिर मुझे लगा की सयाद नया खुला होगा । मैने पूछा "नया खुला है किया ? उसने कहा "हां"। मैने पूछा "मॉल है"? उसने कहा " हां" । मैने फिर पूछा " मॉल बड़ा है न ? मजा आयेगा ना? उसने कहा "अरे चलिए न ! मैं सिलीगुड़ी आते ही रहता हु ,और सभी जगह घूम चुका हूं , नया खुला है बहुत मजा आएगा"। उसने इतना कॉन्फिडेंस के साथ बोला की मुझे लगा सायद अच्छा ही होगा । मैने सोचा की कॉसमॉस तो कई बार घूम चुका हूं ,इस बार नई मॉल में घूम लू। मैने कहा "ठीक है चलिए फिर रिलायंस ही चलते है"। कॉसमॉस आंखों के सामने से पार हो गया ,पर अब तो रिलायंस में जाना था। सानूप सर को भूख लगी थी तो साजिद भैया ने एक होटल के सामने गाड़ी रोक दि। मैं सोचा की सनूप सर को कंपनी दे दू । मैं उसके साथ होटल तक चला गया। एक होटल में गए उसने खाने का रेट पूछा । खाना थोड़ा महंगा था। फिर दूसरा होटल में गए । वहा पर खाने का रेट थोड़ा कम था । मछली भात का १०० रुपया । सनूप सर ने वही पर खाने का मन बना लिया । मैं जानना चाहता था की सर किया बोलेंगे ,मैने उसे कहा "ठीक है तो आप खा के आयेगा , मैं गाड़ी में इंतजार कर रहा हूं"। उसने कहा "ठीक है "। मुझे फिर अजीब लगा । मैंने सोचा था की वह मुझे कंपनी देने के लिए बोलेगा। पर ऐसा भी नही हुआ । मैने मन हीं मन सोचा "क्या आदमी है यार"। मैं फिर चला गया गाड़ी के पास उसका इंतजार करने । मैं और साजिद भैया बात कर रहे थे । इतने में वो खाकर आया । बोला की खाना अच्छा दिया था प्रेम,१०० रुपया में। अभी तक मैने उसके बरताव को गंभीरता से नहीं लिया था । फिर मैंने साजिद भैया से कहा "चलिए भैया ,रिलायंस किधर है"। सनूप सर ने साजिद भैया को गाइड किया और हमलोग सनुप सर के पसंदिता जगह पर पहुंच गए। मॉल देख कर तो मेरे होस ही उड़ गए । वहा पर रिलायंस नही बल्कि कुछ और लिखा हुआ था । मैने सनूप सर से कहा " सर ये तो रिलायंस नही बल्कि कुछ और है ,ये तो स्मार्ट है" । सनूप सर कहने लगा ये रिलायंस स्मार्ट है । मुझे संदेह हो गया की मैने इसकी बात मानकर शायद गलती कर दी । मैं रिलायंस का नाम सुन के ही मॉल में गया था क्योंकि रिलायंस एक ब्रांड है। उसको नाम तो सटीक लेना चाहियेथा । नाम था स्मार्ट और बोल रहा था रिलायंस रिलायंस । खुद तो कन्फ्यूज्ड था और इस कन्फ्यूजन में मेरा सारा मजा हि किरकिरा कर दिया । फिर भी दिल थाम के अंदर गया ये सोच कर की सायद अच्छा होगा। जब अंदर घुसा तो मेरे पैरो तले जमीन ही नही रहा । वो मॉल नही बल्कि एक गोडाउन लग रहा था वहां पर चावल दाल और राशन का सब सामान था । कपड़े से लेकर टीवी फ्रिज वगैरा भी था लेकिन कोई फीलिंग्स नही थी। सोचा था सेल्फी लूंगा और फेसबुक में पोस्ट करूंगा पर वह जगह तो सेल्फी लेने लाइक भी नही था। मैने सनूप सर से कहा "ये आप कहा ले आए आपने तो कहा था की कॉसमॉस से भी अच्छा होगा"। इस बात पर वो बोला "क्यूं अच्छा नहीं है? यहां पर कम दाम में सब समान मिलता है, हुमलोगो ने यह पर दस हजार तक का शॉपिंग किया है" । मैं समझ गया की वो अपनी उल्लू सीधा करने वहा पर गया था । वो इस इरादे से वहा गया था की कम दाम में अपना जरूरत के कुछ समान खरीद सके। उसे मेरी इंटरेस्ट कि कोई परवाह नही थी। मैं सनूप सर को छोड़ कर वापिस गाड़ी के पास आ गया और इंतजार करने लगा। साजिद भैया भीं वापिस आ गया और दोनों उसके बुराई करने लगे । कुछ ही देर में उसका फोन आया । उसने पूछा की मैं गोडाउन से बाहर निकला या नहीं । मैने कहा मैं गाड़ी में आपका इंतजार कर रहा हु। उसको भी थोड़ा खराब लगा की मुझे गोडाउन पसंद नही आया । वो जल्दी ही वापिस आ गया । आकार कहने लगा की चलो कॉसमॉस ही चलते है । अब कॉस्मोस नही जा सकते थे क्योंकि उस रोड में बहुत ट्रैफिक होता है । एक बार गाड़ी निकाल लाने के बाद फिर वापिस जाना परेशानी का बात है। तो हमलोग गाड़ी में बैठे और वहा से निकल पड़े। अब मुझे सनूप सर पर गुस्सा आ रहा था। मैने सोचा की इसको लाकर मैने गलती कर दी। मेरे सारे काम बेकार हों गए। मैने जैसा सोचा वैसा कुछ भीं नहीं हुआ । दोस्त के साथ बिरयानी भीं नहीं खा सका और कॉसमॉस भीं नहीं घूम सका । टोटल टाइम वेस्ट हों गया । इतना खर्चा करके गाड़ी लेकर आया था उसका पूरा फायदा भीं नहीं उठा सका। गुस्सा तो आ रहा था इतने में सनूप सर ने कहा " बोलिए किया पिलाएगा" । मुझे फिर गुस्सा आया क्युकी वह मेरे पैसा से ही पीना चाहता था।मैने कहा "पिलाएगा मत बोलिए ! दोनो मिल के पे करेंगे । उसका आवाज दब गया। उसने कहा " हां ठीक है! उसमे किया मिल के ही पे करेंगे, कहा मिलता है? " मैने कहा "आगे रेस्टोरेंट है वहा मिलता है ,वही लेंगे। अब बातें भीं कम हो गई । हमलोग वापिस आ रहे थे । मैने रोमांटिक गाना लगाया और हम गाना सुनने लगे। गाना सुनते सुनते मैं सोचने लगा की सनुप सर मेरे साथ एंजॉय करने नहीं आया था । बल्कि अपने मतलब के लिए आया था। उसने सोचा की वह मेरे गाड़ी में आयेगा तो उसका भाड़ा भी बच जायेगा और जमीन पर काम भीं कर लेगा । उसको मुझे एग्जाम सेंटर तक छोड़ने , बेस्ट ऑफ़ लक बोलने, मेरे साथ बिरयानी खाने और मॉल घूमने में कोई इंटरेस्ट नहीं था। फिर भी मैं पॉजिटिव सोचते हुए आगे बड़ा क्योंकि अभी बीयर पीना बाकी था। मन में पॉजिटिव एनर्जी पैदा होने लगा की अब बीयर पियेंगे और मस्ती भरी बाते करेंगे । लगभग आधे घंटे के सफर के बाद हमलोग उदलाबारी पहुंचे । मैने साजिद भैया से कहा भईया गाड़ी लामा होटल में लगा दीजिए । वहा अच्छा मिलता है । साजिद भैया ने लामा होटल के प्रांगण में गाड़ी पार्क कर दी । अब तो बीयर पीना ही था । हमलोग लामा होटल में घुस ही रहे थे की सनूप सर ने फिर कहा " बोलिए प्रेम ! एग्जाम देने के खुसी में किया पिलाएगा"? मुझे फिर गुस्सा आया । मैने सोचा की कितना बेशरम है ये आदमी ,जब मैने एक बार बोल दिया की दोनो साथ में मिल के पे करेंगे फिर भी बोल रहा है की किया पिलाएगा । जवाब देता तो कुछ बुरा निकल जाता । मैं चुप ही रहा । मैं उस होटल में पहले भी जा चुका था । सनूप सर पहली बार वहा गया था । बड़ा हाल जैसा रूम था वही पर डाइनिंग टेबल वगैरा सिप्रेटली लगाया हुआ था लेकिन सेपरेट केबिन नही था। सनूप सर केबिन खोजने लगा । केबिन तो वहां पर था नही । फिर भी मैंने वेटर से पूछा "हमलोगों को बीयर पीना है कहां पर बैठे?" वेटर ने बहुत ही रुडली जवाब दिया " आप कही भी बैठकर पीजिए हमको कोई दिक्कत नही है "। वैसे भी सनूप सर ने मूड खराब कर रखा था ऊपर से ये वेटर । मैं जानता था की वहा पर खाना तो अच्छा मिलता है लेकिन वेटरों का वर्ताओ अच्छा नहीं है। फिर भी दिल थाम के एक कोने में जा के बैठा गए और बाते करने लगे । साजिद भैया जनता था की मैने शराब छोड़ दिया था । मैने सनूप सर को बताया की में केवल उसी के खातिर बीयर पी रहा हु नही तो बीयर नहीं पिता। और सच भी है की बस दोस्ती यारी के खातिर ही मैने बीयर पीने का मन बनाया था वरना मैने बहुत पहले ही पीना छोड़ दिया था। इतने में एक वेटर आया । वेटर थोड़ी दूर पर था तो मैंने वेटर को इशारे से बुलाना चाहा । उसने मुझे देखा और कहां थड़ी देर वेट कीजिए । हम फिर बाते करने लगे । सनूप सर ने कहा की किया खायेंगे । नान रोटी खाते है । मैने कहा खा के तो आए है । अभी सिर्फ बीयर और स्नैक्स लेंगे । सनूप सर कहने लगा नही मैं तो नान भी खाऊंगा आप लोग मत खाइए। फिर सनुप सर ने साजिद भैया से पूछा की आप किया लेंगे । साजिद भैया ने कहा की मैं कॉफ़ी लूंगा बस । साजिद भैया एक बहुत अच्छा ड्राइवर है । वे कभी भी अल्कोहल नही लेते है । और अपना ड्यूटी बड़ा ही ईमानदारी से निभाते है । बहुत देर हो गया था वेटर ने अभी तक हमारा ऑर्डर तक नहीं लिया था। फिर एक दूसरा वेटर आया । मैने उससे कहा की भैया ऑर्डर तो ले लीजिए । रुकिए आते है कहते हुए सीधे वहा से चल दिया । लगभग आधे घंटे से वेट कर रहे थे लेकिन कोई ऑर्डर लेने नही आया था । मनोबल टूटने लगा था हमलोगो का । फिर थोड़ी देर के बाद पहला वाला वेटर फिर आया । मैने उसे फिर कहा "भैया ऑर्डर ले लीजिए ना"। उसने यह कहते हुए की " किया ऑर्डर नही हुआ है अभी तक" सीधे वहा से चल दिया। मैने सोचा की आज दिन ही खराब है। मैने साजिद भैया से कहा "चलिए किसी दूसरे रेस्टोरेंट में चलते है। साजिद भैया ने भीं कहा "चलिए इतना देर से बैठे हुए है कोई पूछने वाला नहीं है"। फिर वहा से हम निकल पड़े । मै फिर गाड़ी में पुराने रोमांटिक गाने लगायाऔर सुनते सुनते जा रहा था और सोचने लगा की जब सनूप सर को मेरी दोस्ती की कदर ही नही है तो मुझे पी के किया फायदा। फिर मैने मन ही मन अपना इरादा बदल दिया । गाड़ी रफ्तार पकड़ चुकीं थीं और मालबाजार पार करके चलसा पहुंची । बहुत देर तक सनूप सर चुप था फिर कहने लगा चलशा में एक रेस्टोरेंट है वहा पर रुकिएगा । उसने साजिद भैया को एक रेस्टोरेंट "स्पाइस" में रोक दिया और मुझसे कहा की चलिए वो वाली रेस्टोरेंट में चलते है । मैने कहा " मैं अब नही पिऊंगा , चलिए साजिद भैया घर चलते है "। सनूप सर को आचार्य हुआ । उसने कहा " क्या बोल रहे है प्रेम सर बीयर नही पीजिएगा" । मैने कहा "नही "। मैने देखा की इस बात से उसे बहुत झटका सा लगा। वह उत्तेजित हो गया और बोलने लगा " ला तब फायदा किया हुआ इतना दूर आने का , अपना जमीन में तो मैं कभी भी खुट्टी लगवा सकता था , मैं तो पीने के लिए ही आप के साथ आया हु "।इसी बात का जवाब देते हुए मैने कहा " ओ तो अब आप को लग रहा है की कुछ फायदा नहीं हुआ ,मुझे भी ऐसा ही लगा था जब आप अपना जमीन देख के जल्दी आने के बजाई खुट्टी गड़वा रहे थे, पीने में मजा कब आता है जब दोनो का मन मिलता है , दोस्ती अच्छी होती है ,छोटी छोटी खुशियां दोनो मिल के शेयर करते है ,जब दोनो मिल के बिरयानी खाते , साथ में मिल के मॉल में घूमते और सेल्फी लेते तब न बीयर भी पीने का मजा आता ।इतना कहते ही वह तिलमिला उठा और बिलकुल इलॉजिकल बाते करने लगा और कहा " मेरे लिए गाड़ी कही पर रोक दीजिएगा मैं बीयर पी के ही जाऊंगा , मैं पीने खाने वाला आदमी हु ,नही पिऊंगा तो मजा नही आयेगा। मैने भी साजिद भैया से कहा भईया नगराकता में गाड़ी रोक दीजिएगा सर बीयर पियेंगे । रेस्टोरेंट आया और साजिद भैया ने गाड़ी रोक दी। सनूप सर जल्दी से उतर गए जैसे की पीने के लिए बारी देर हो रहीं थी। उसके बाद साजिद भैया भी उतर गए । फिर सनुप मुझे जिद्द करने लगे गाड़ी से उतरने के लिए । मैने कहा आपलोग हो कर आइए मैं गाड़ी में ही ठीक हूं । फिर साजिद भैया भी जिद्द करने लगे । साजिद भैया की बात सुनकर मैं उतर गया । फिर हमलोग रेस्टोरेंट के अंदर गए । सनूप सर जाते ही बीयर का ऑर्डर कर दिए । मुझे ऑफर करने लगे की बीयर पीजिए पैसा मैं दूंगा । बात पैसे की नही थी बात दोस्ती यारी की थी। मैने कहा मैं भी कॉफी पिऊंगा । साजिद भैया और मैंने कॉफी पिया । सनूप सर ने बीयर के साथ चना ड्राई फ्राई मंगाया था । सनूप सर बोलने लगा लीजिए ना चना ड्राई फ्राई लीजिए । वह साजिद भैया को भी कुछ और लेने के लिए ऑफर करने लगे । और हमको सजेस्ट करने लगे की साजिद भैया को कुछ खिलाइए। साजिद भैया ने भी कहा की नही कुछ नही चाहिए । इसके बाद बीयर और कॉफी पार्टी ओवर हुआ । मैं बिल देने के लिए चला गया क्यों की में सनूप सर के पैसे से कॉफी नही पीना चाहता था । जब मैं बिल देने लगा तो सनूप सर बहुत खुस हो गया और कहने लगा जब इतना कर दिए तो एक मुस्तफा(गुटखा) भी ले लीजिए। मैं और किया बोलता इतना घटिया आदमी को । मैने बिल दिया । उसके बाद गाड़ी स्टार्ट किए और वहा से चल दिए घर की ओर। मैं उसके बाद सनुप सर से बात चीत काम कर दिया। अब हमारे दोस्ती में पहले जैसा गर्माहट नही है। दोस्तो आपलोगो को मेरा ये कहानी कैसा लगा कॉमेंट करके जरूर बताइएगा । अगले बार फिर मिलेंगे मेरी एक नई कहानी का साथ । गुड बाय दोस्तो ।आपका दिन शुभ हो। कहानी(चाय श्रमिक का 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