गलतियां (कविता)
गलतियां हर इंसान से होती है ।लेकिन गलती करने के बाद गलतियों को मानना ,उसे सुधारना और गलती को नही दुहराना ही कामयाबी की राह में चलने के बराबर होता है ।इसी बात पर आधारित है मेरी यह कविता । कृपया कविता को पूरा पढ़े ।<script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-2311119752115696" crossorigin="anonymous"></script>
प्रेम चंद रविदास
10/14/20231 min read


बेखबर थे इस बात से की
अब आगे क्या करना है ?
बेखबर थे इस बात से की
अब आगे क्या करना है ?
वही करता गया जो सही लगा
लेकिन सही का तो पता तब चला ।
जब गलती हुई
और मन को ठोकर लगा ।
सोचते है कभी कभी
कि कितने बेवकूफ थे हम ।
सोचते थे कभी कभी
कि कितने बेवकूफ थे हम।
फिर भी खुद से
कोई शिकायत नही ।
क्योंकि ठोकर खाते खाते
कितने आगे निकल गए हम।
कुछ गलतियां थी ऐसी
कि दिल को ताना मारती है आज।
कुछ गलतियां थी ऐसी
कि दिल को ताना मारती है आज।
फिर भी दिल में
दर्द नही होता ।
क्योंकि ताना सहते सहते
दिल को कितना बदल दिए है आज।
कुछ गलतियों ने तो
बहुत शर्मिंदा किया मन को ।
कुछ गलतियों ने तो
बहुत शर्मिंदा किया मन को ।
खुद के ही नज़रों में
गिरना पड़ा खुद को ।
मजबूर थे इतना
की माफी न मांग सके ।
लेकिन पश्चाताप कि आग
गहरा सबक दे गया मन को ।
Prem Chand Rabidas
