बच्चो को समझें

अविभावक को चाहिए की वो अपने बच्चो की मनोभाव को समझे । सभी शिक्षक गलत नही होते। जो शिक्षक मन लगाकर काम करना चाहते है कृपया उनके हौसला बढ़ाए।<script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-2311119752115696" crossorigin="anonymous"></script>

प्रेम चंद रविदास

7/29/20231 min read

a group of children sitting at desks in a classroom
a group of children sitting at desks in a classroom

नमस्कार दोस्तो ! मेरा नाम प्रेमचंद रविदास है और में आप सबका इस ब्लॉग में स्वागत करता हूं। दोस्तो ! मैं आज आप लोगो के समक्ष मेरे साथ घटी एक छोटी सी घटना साझा करना चाहता हूं। दोस्तों ! ये बात आप लोगो को बहुत छोटी लग सकती है । लेकिन गंभीरता से विचार किया जाए तो बहुत बड़ी बात है ।

दोस्तो! मैं स्कूल में शिक्षक प्रभारी के रूप में काम करता हूं। एक दिन मैं स्कूल पहुंचा ही था कि एक अविभावक का फोन आया । उस अविभावक और मेरे बीच हुए वार्तालाप निम्नलिखित है।

अविभावक=अभी तो ग्यारह ही बजे है ।आपने मेरे बेटे को वापस क्यों भेज दिया ।

मैं= क्या मैने वापस भेजा?

अविभावक=हां !आपने तो घर वापस भेज दिया ।

मैं=किसने कहा कि मैंने आपके बेटे को वापस भेज दिया?आपके बेटे ने कहा?

अविभावक=मेरे बेटे ने के कहा?

मैं= इसका मतलब किसी ने तो देखा या सुना होगा जब मैने ऐसा कहा।

अविभावक= आपने अगर नही बोला तो किसी दूसरे सर ने कहा होगा

मैं= आपको कोई गलत फहमी हुई है ।हमलोग बच्चे को कभी वापस नहीं भेजते है । ग्यारह तो क्या, बच्चे अगर साढ़े ग्यारह बजे ही क्यों न स्कूल पहुंचे हमलोग कभी बच्चो को वापस नहीं भेजते। आप बच्चे को लेकर स्कूल आईए और अपनी गलत फहमी दूर कर लीजिए।

अविभावक ने फोन रख दिया । मैने सोचा अविभावक अपना बच्चा को लेकर स्कूल आयेगा और मुझसे बात करेगा लेकिन किसी दूसरे के द्वारा बच्चे को स्कूल भिजवा दिया और खुद नही आया ।जब बच्चा से मैंने पूछा की तुम्हारा अविभावक क्यों नही आया और तुमने मेरा नाम क्यों लिया । डरा हुआ बच्चा कान पकड़ कर मुझे कहता है " सॉरी सर! गलती हो गई।आगे से ऐसा नहीं होगा।" मैं बच्चा को देखकर ही समझ गया की वास्तव में हुआ किया होगा। मैने बच्चे से कहा ठीक है तुम क्लास में चले जाओ ।

दोस्तो !अगर आप अविभावक है , किसी बच्चे के मां है या पिता है आप ही बच्चा का पहला शिक्षक है और बच्चा को समझना बहुत जरूरी है । उस दिन बच्चा को स्कूल आने का मन नहीं था ।वह आधे रास्ता तक स्कूल आया होगा ।फिर सोचा होगा घर वापस चला जाऊ।लेकिन बच्चा को घर में जवाब भी देना था इसीलिए बच्चे ने सोचा की वह कह देगा "देर हो गया था इसीलिए सर ने वापस भेज दिया "।उसने मेरा नाम लिया क्योंकि उसे पता था कि मेरा नाम लेना सुरक्षित है। लेकिन जैसे ही उसने मेरा नाम लिया उसके मां को मुझपर इतना गुस्सा आया कि फोन पर मुझ पर झूठा आरोप लगाने से नही चुका ।और जब मैने कहा कि आप स्कूल आकार अपना गलत फहमी दूर कर लीजिए तो स्कूल भी नही आया ।बच्चे को न समझ पाना मतलब एक मां की कमजोरी है।बच्चे तो बच्चे होते है वे गलती करते है , शरारत भी करते है ।लेकिन अपनी बच्चे के शरारत को खुद ही न समझ पाना अपनी कमजोरी है। जो शिक्षक बच्चे की मानसिक दशा नही समझ पाते ऐसी परिस्थिति में बच्चो को बुरी तरह डाट फटकार देते है। नुकसान तो हर हाल में बच्चा का ही होता है । तो दोस्तो आप लोगो से बिनती है कि आपने बच्चे को समझने की कोशिश कीजिए और प्यार से पेश आइए। आप अपने बच्चे को बहुत अच्छी शिक्षा और संस्कार दे सकते है ।और सभी शिक्षक बुरे नही होते है ।सच्चाई जाने बिना ही शिक्षक पर आरोप मत लगाइए और अगर आपको एहसास हो तो कम से कम शिक्षक को सॉरी बोल दीजिए।इससे उन शिक्षको को जो मन लगाकर काम करते है उनका हौसला बढ़ेगा।

जय हिन्द